ईद पर निबंध ( EID PAR NIBANDH ) आसान भाषा में 2022

 

नमश्कार दोस्तो, आशा करते है आप सभी का परिवार एक दम स्वस्थ होगा और आप भी एक खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रहे होंगे। दोस्तो हम सभी भारतीय नागरिक है जहाँ हर धर्म,हर जाति के लोग एक दूसरे के साथ भाईचारे की मिसाल बनकर रहते है। जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि भारत एक त्योहारों और पर्वो की धरती मानी जाती है। जहाँ अलग-अलग तरह के मजहब के लोगो द्वारा अपने अपने त्योहार महाये जाते है। ऐसा ही एक त्योहार है EID PAR NIBANDH “ईद का त्योहार”। आप सभी अपने आस पास देखते होंगे, हर साल मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोग रमज़ान शरीफ में रोजे रखते है और इन रोजो के खत्म होने के बाद मुस्लिम धर्म मे सबसे  बड़ा माना जाने वाला त्योहार आता है जिसे ईद कहते है। इस्लाम धर्म मे ईद का दिन बहुत ही खुशहाल दिन माना जाता है, 

इस त्योहार के दीन सभी के घर मीठी शीर बनती है और सभी एक दूसरे के घर जाकर भाईचारा बढ़ाते है । आप सभी को अपने बचपन के दिन तो याद ही होंगे जब आप सभी के अद्यापक आपको ईद पर निबंध लिखने को कहते थे,हम सभी ईद पर निबंध लिखते थे और फिर उसे याद भी किया करते थे। यह सब हमे इसलिए कहा जाता था ताकि हम सभी एक दूसरे के प्रति जागरूक हो और हमे दूसरे धर्मों के बारे में भी जानने को मिले ,अक्सर हम सभी एक दूसरे के धर्म को जानने के अभाव से जागरूक नही हो पाते इसलिए दोस्तो हम सभी को एक दूसरे के धर्म के बारे में थोड़ा ज्ञान होना जरूरी होता है ताकि हम एक दूसरे को जान सके और भाईचारे को ऐसे ही कायम रख सके, इसलिए आज हम एक बार फिर आप सभी के समीप हाजिर हुए है एक बहुत ही अच्छा निबंध लेकर जिसके जरिये आप सभी को इस्लाम धर्म से जुड़ी जानकारियां हसिल होगीं ,तो चलिए शुरू करते है आज का यह निबंध।

दोस्तो यहाँ हम आपके लिए दोनो ईद पर अलग-अलग 10-10 लाइन का निबंध प्रदान कर रहे है। जिनसे आप सभी को इस त्योहार के बारे में काफी जानकारी हासिल होगी। 

ईद उल फित्र पर निबंध ( EID UL FITR PAR NIBANDH )

1.ईद उल फित्र मुस्लिमो का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है।

2. ईद उल फित्र रमजान महीने के बाद आती है जो हर साल अप्रैल या मई के महीने में शुरू होता है।रमजान के महीने में 30 दिनों तक रोज़े रखे जाते है।

5.रमज़ान में रोजे का समय सुबह सूरज निकलने से लेकर शाम सूरज डूबने तक का होता है, इस दौरान मुस्लिम लोग बिना कुछ खाये पिये रहते है।

6.डूबते सूरज के साथ रोजा इफ्तार यानी खोला जाता है।

7.रमजान के आखरी रोज़े की रात चाँद के दिखने के बाद ही अगले दिन ईद उल फित्र का त्यौहार मनाया जाता है।

8.ईद उल फित्र के दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद या ईदगाह में एक साथ इक्कठे होकर भाईचारे के साथ नमाज पढ़ते है,और और अल्लाह से सभी की सलामती की दुआ मांगते  हैं।

9. ईद उल फित्र के दिन हर घर में मीठी सेवइयाँ और ढेर सारे अच्छे-अच्छे पकवान बनाये जाते है, जिनका स्वाद लाजवाब होता है और हिन्दू भाइयों को आमंत्रित किया जाता है , इन पकवानों को हिन्दू भाई शोक से खाना पसंद करते है।

10.ईद उल फित्र वाले दिन हर कोई नए-नए और  अच्छे-अच्छे कपडे पहनता है और आपसी गलतिया भुला कर एक दूसरे को ईद की मुबारक देते हुए भाईचारे की भावना से एक दूसरे को अपने घर दावत का न्योता देता है।

11.ईद उल फित्र के दिन बच्चे भी बहुत खुश नजर आते है और सभी को उनके मम्मी-पापा से ईद के तोहफे मिलते है जिसे ईदी कहा जाता है।

दोस्तो यह था ईद उल फित्र पर 10 लाइनों का निबंध। चलिये अब विस्तार से जानते है इस पवित्र त्योहार को …दोस्तो ईद-उल-फित्र का त्योहार एक माह के पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है, रमज़ान में सभी मुस्लिम लोग रोज़े रखते है जिसका समय सुबह सूरज निकलने से पहले( जिसे मुस्लिम लोग फजिर का समय कहते है) और उनका रोजा शाम को अंधेरा होने से पहले तक होता है रोज़े नियत करने के बाद लोग अन्न व पानी को त्याग देते है और रोज़ा खत्म होने तक ( जिसे इफ्तार कहते है ) कुछ भी खाना हरा माना जाता है ,नमाज पढ़कर व पवित्र कुरान पढ़कर लोग अल्लाह से दुआ करते हैं। 

दोस्तो यह तो बात हुई ईद उल फित्र की अब बात कर लेते है मुस्लिमो के दूसरे सबसे प्रसिद्ध त्योहार की जिसे ईद उल अज़हा कहते है। ईद उल फित्र के करीब 70 दिन बाद ईद उल अज़हा का त्योहार आता है जो इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ज़ुल हज माह की 10 तारीख को मनाया जाता है।ईद उल अज़हा के दिन ही हज पर गए हाजी हज़रात का हज भी पूरा होता है और पूरी दुनिया में मुस्लिम लोग कुर्बानी करते हैं। कुर्बानी एक तरह से बली मानी जाती है ,बस फर्क सिर्फ इतना होता है कुर्बानी मुस्लिम लोग करते है और बली हिन्दू लोग करते है।बहुत पहले से ही अपने भगवान/ख़ुदा  को प्रसन्न करने के लिए कुर्बानी और बली दी जाती है।शरीयत कि माने तो कुर्बानी हर उस औरत और मर्द के लिए फ़र्ज़ है जिसके पास 13-15 हजार रुपए या उसके बराबर सोना और चांदी के आभूषण या रुपया, सोना और चांदी के आभूषण मिलाकर 13-15 हजार रुपए के बराबर संपत्ति है। ईद उल अज़हा के दिन दूर-दूर से लोग एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते है और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए बहुत ही प्रेम और उत्साह के साथ इस प्यारे से त्योहार को मनाते है। दोस्तो यहाँ हम आप सभी के लिए ईद उल अज़हा पर 10 लाइनो का निबंध प्रदान कर रहे है ताकि आप सभी ईस त्योहार को बारीकी से जान सको और प्रेम के साथ इस त्योहार का आनंद उठा सको।

ईद पर निबंध ( EID PAR NIBANDH )

ईद पर निबंध ( EID PAR NIBANDH ) पूरी जानकारी 2022 

दोस्तो जैसा कि हमने ऊपर बताया कि इस्लाम धर्म यानी मुस्लिम धर्म में ईद के त्योहार के दिन को बहुत ही खुशी का दिन माना जाता है।यह दिन 30 या फिर 28 रोजे रखने के बाद आता है। ईद के दिन सुबह ही ईदगाह में ईद की नमाज पढ़ी जाती है और मुस्लिम भाई न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों(पापो) की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने आस पास रहने वाले लोगो और अपने परिवार के लोगों के लिए अल्लाह से दुआ करते हैं।ईद की नमाज के बाद मुस्लिम भाई अपने अपने घर अच्छे अच्छे पकवान बनाते है और अपने दूसरे भाइयों को अपने घर पर दावत का न्योता देते है। सभी बहुत ही प्यार और उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाते है।एक इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक एक साल में दो बार ईद मनाई जाती है।सबसे पहले  ईद-उल-फित्र जो 30 रोजो के रमज़ान के महीने के बाद मनाई जाती है और दूसरी होती है ईद-उल-अज़हा, जो ईद उल फित्र के करीब 70 दिन बाद मनाई जाती है। 

दशहरा पर निबंध

ईद उल अज़हा पर  निबंध ( EID UL AZHA PAR NIBANDH )

1. ईद उल अज़हा ईद उल फित्र के करीब 70 दिनों बाद ज़ुल हज माह की 10 तारीख को मनाई जाती है, ईद उल अज़हा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।

2. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम को एक सपना दिखा था जिसमे अल्लाह ने उन्हें उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने का आदेश जारी किया था। इसी वाकिये को याद करने के लिए मुस्लिम लोग ईद उल अज़हा का त्योहार मनाते है। और कुर्बानी की रश्म ऐडा करते है। 

3. ईद उल अजहा को मुसलमान अपने आराध्य से जोड़ते हैं तथा हजरत इब्राहिम को याद करते हैं, और कुर्बानी करते है।

4. इस्लाम में प्रायश्चित का भी बहुत महत्व है जिसके लिए ईद उल अज़हा का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

5. ईद उल अज़हा के दिन सभी सुबह-सुबह ईदगाह में ईद नमाज अदा करते है और सारे संसार की सलामती की दुआ मांगते है।

6.ईद उल अज़हा का त्योहार एक ऐसा इस्लामिक पर्व है जो पूरी दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा बहुत ही भाईचारे, प्रेम तथा शांति का संदेश देते हुए मनाया जाता है।

7.ईद उल अज़हा के  दिन सभी मुसलमान भाई एक दूसरे के बुरे कामो को भूलकर एक दूसरे का हालचाल लेते हैं तथा गले लगाकर एक दूसरे को ईद की शुभकामनाएं देते है ,और अपने धर्म की एकता को बढ़ाते हैं।

8. ईद उल अज़हा के मौके पर सभी भाई एक दूसरे को अपने-अपने घर दावत पर आमंत्रित करते है और दूसरे धर्म से अपने दोस्तों आदि को अपनी इस खुशी में शामिल करते हैं तथा सभी मिलकर इस पर्व की रौनक का आनंद लेते हैं।

9. ईदगाह में ईद की नमाज अदा करने के बाद बकरों की कुर्बानी दी जाती है और अल्लाह से दुआ मांगी जाती है।

10. ईद उल अजहा का त्योहार पूरी दुनिया मे मनाया जाता है और इस त्योहार को पूरी दुनियाँ में रहने वाले मुसलमान एक परंपरा के अनुसार मनाते हैं।

दोस्तो चाहे ईद उल फित्र हो या ईद उल अज़हा दोनों ही ईद का मुस्लिम शरीयत के अनुसार बहुत ही महत्व है। ईद के दिन सभी धर्म के लोग बड़े ही उत्साह के साथ मुस्लिम भाइयो के साथ दावत उड़ाते है और भाईचारे को कायम करते है,इसलिए ईद आपस मे सामाजिक भाईचारा भी बढ़ाती है। पूरी दुनिया में मुसलमानों को दूसरे महज़ब के लोग ईद की शुभकामनाएं देते हैं। ईद का त्योहार एक बहुत ही सौहार्द और आपस मे प्यार और भाईचारे को बनाये रखने वाला पर्व है।

दोस्तो कैसा लगा आप सभी को हमारा यह आज का EID PAR NIBANDH  “ईद पर निबंध” लाइक और कमेंट करके हमे जरूर बताएं। हमारा निबंध पढने का आप सभी का धन्यवाद। और निबंधों के लिये जुड़े रहिये हमारे साथ।

धन्यवाद….!

Leave a Comment