[su_button url=”http://crazyhindi.com/gav-me-paise-kaise-kamaye/” target=”blank” background=”#f11407″ size=”9″ wide=”yes” center=”yes”]Ali Baba Ek Andaaz Anokha || 19th May 2023 ( Part -2)[/su_button]
नमस्कार दोस्तों, Crazyhindi.com पर आपका एक बार फिर से स्वागत है. आज इस लेख में हम जानने वाले हैं कि हमारे जीवन में Bhasha Ka Mahatva Kya Hai यानी Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh in 2022 ( Essay on Bhasha Ka Mahatva in Hindi). हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चीज हमारी भाषा यानी हमारी Language ही होती है.

हमें हमारी भाषा से ही पहचाना जाता है कि हम कहां के हैं, कैसा बोलते हैं. दुनिया में हर इंसान की अलग अलग भाषा होती है. भाषा ही हर इंसान को एक दूसरे से जोड़ती है. दोस्तों क्या आपको लगता है कि आप पूरी तरह से जानते हो Bhasha Ka Mahatva Kya Hota Hai? चाहे हम किसी भी देश या प्रांत में रहे हर इंसान को उसकी भाषा एक दूसरे से जोड़ती रहती है. इंसान तो क्या सभी जानवर के पास भी अपनी अपनी एक भाषा या बोली होती है जो एक दूसरे को आपस में जोड़ कर रखती है.
हमारी भाषा हमें एक पहचान देती, है जीना सिखाती है और भाषा से ही इंसानों को इंसान पहचानते हैं. इसीलिए इस Post में हम Essay on Bhasha Ka Mahatva in Hindi के बारे में से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. और यह भी जानेंगे कि हमारी भाषा में कितनी महत्वपूर्ण है.
किसी भी व्यक्ति के जीवन में भाषा बहुत ही ज्यादा Important है. भाषा हमारे विचारों तथा अनुभव को व्यक्त करने का एक सांकेतिक साधन है.
Bhasha Ka Mahatva निबंध
अगर आप को भी आसान भाषा का महत्व निबंध की जरूरत है तो नीचे Bhasha Ka Mahatva पर 2022 का सबसे अच्छा निबंध दे रहे हैं
भाषा की परिभाषा (Bhasha Ka Mahatva)
हमारी भाषा हमारे विचारों को व्यक्त करने का एक प्रमुख साधन है. मुख से उच्चारित होने वाले शब्द और वाक्य का समूह है हमारी भाषा जिसके द्वारा हम हमारे मन में छुपी हुई सभी बात बता सकते हैं. इस भाषा की सहायता से ही किसी समाज विशेष या देश के लोग अपने मन में प्रगट होने वाले भाव अर्थात विचार एक दूसरे के साथ प्रकट करते हैं.
दुनिया में हजारों प्रकार की भाषाएं बोली जाती है और हर व्यक्ति बचपन से ही अपनी मातृभाषा या देश की भाषा से तो परिचित होता ही है लेकिन दूसरे देश या दूसरे समाज की भाषा से नहीं जुड़ पाता. वैज्ञानिको ने भाषा के अलग-अलग वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक के अलग-अलग शाखाएं बनाई है. उदाहरण के तौर पर हमारी हिंदी भाषा वैज्ञानिकों की दृष्टि से “भारतीय आर्य भाषा” की एक शाखा है, ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उप भाषाएं हैं.
पास पास बोले जाने वाली अनेक उप भाषाओं में बहुत कुछ समान होता है और इसी साम्यता के आधार पर उस भाषा को किसी वर्ग या कुल में स्थापित किया जाता है. भाषा की परिभाषा आसान शब्दों में कहने जाएं तो “हमारे शब्दों की पहचान ही हमारी भाषा होती है”.
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भाषा का निर्माण कैसे हुआ और क्यों हुआ?
Bhasha Ka Mahatva Kya Hai यानी Bhasha Ka Mahatva Kya Hota Hai यह जानने से पहले इससे पहले हम यह जानते हैं कि भाषा का निर्माण कैसे हुआ. पहले जब बच्चे या उनके मां बाप एक दूसरे को समजने या समजाने के लिए विभिन्न प्रकार के संकेतों का इस्तेमाल करते थे पर संकेतों में बात पूरी तरह से समझना एवं समझाना बहुत ही मुश्किल था.
आपने भी अपने मित्रों के साथ संकेतों में बात समझाने के खेल खेले होंगे और उस समय आपको भी यह बात पता चल गई होगी कि संकेतों से बात समझने में बहुत ही कठिनाई होती है. ऐसा ही आदिमानव के साथ भी होता था. इसी असुविधा से बचने के लिए उसने अपने मुख से निकली ध्वनि को मिलाकर शब्द बनाने का आरंभ किया. इस प्रकार धीरे-धीरे शब्दों के मेल से ही भाषा का निर्माण हुआ.
Bhasha Ka Mahatva in Hindi – भाषा सिखने का तरीका
Essay on Bhasha Ka Mahatva in Hindi या Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh में अब हम भाषा सीखने के तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे. दोस्तों क्या कभी किसी इंसान का जन्म होता है तब से वह किसी भाषा को जानता है? क्या वह किसी भाषा को बोलने लगता है? नहीं, एक नवजात बच्चा कोरे कागज के समान होता है. जिस पर आप कुछ भी लिख सकते हैं जो आप लिखोगे वह उस पर हमेशा लिखा रहेगा कभी मिटेगा नहीं. उसी प्रकार हमारे जीवन में भाषा का महत्व बहुत ज्यादा है. एक बच्चा जहां जन्म लेता है यानी जिस परिवार में या प्रांत में जन्म लेता है वहां की भाषा सीखता है.
अगर किसी बच्चे का जन्म किसी परिवार में हुआ और उस बच्चे को किसी दूसरे परिवार ने गोद ले लिया तो वह अपने सगे मां-बाप की भाषा नहीं सीखेगा वही भाषा सीखेगा जहां वह रहता है. भाषा का महत्व क्या है यह जानने के लिए इस पर आधारित एक कहानी आपने सुनी होगी वह इस बात को पूर्णता सिद्ध करती है.
एक बार एक बच्चे का जन्म होते ही उसे भेडियो के बिच मे छोड़ दिया जाता है और जब कुछ साल बाद वह बच्चा बड़ा होता है और लोगों की नजर में आता है तो वह लड़का भी भेड़ियों की तरह ही गुर्राने लगता है और इंसानों की भाषा से पूरी तरह अनभिज्ञ होता है.
अगर आप अपने जीवन में भाषा का महत्व जान चुके हो और आपको कोई और भाषा सीखनी है तो आपको उसके लिए कोचिंग क्लास करने की कोई जरूरत नहीं है. आपको उस भाषा किस राज्य में बोली जाती है वह जानना है और उस राज्य में जाकर दो-तीन साल रहना है. इस तरीके से आप आसानी से किसी भी भाषा को सीख सकते हैं.
भाषा के भेद प्रकार (Types of Language)
Bhasha Ka Mahatva in Hindi जानने के साथ साथ आज हम यह भी जानेंगे की भाषा कितने प्रकार की होती है. सब लोग एक दूसरे से आपस में बातचीत करते हैं तो मौखिक भाषा का प्रयोग करते हैं. और पत्र, लेख, पुस्तक, समाचार पत्र आदि में लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं. हमारे विचारों का संग्रह भी हम लिखित भाषा में ही करते हैं. इस प्रकार मुख्य तौर से भाषा दो प्रकार की होती है.
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
मूलभूत रूप से हमारे सामान्य जनजीवन में बातचीत में मौखिक भाषा का ही प्रयोग होता है इसे प्रयत्न पूर्वक सिखने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. जन्म के बाद बालक द्वारा परिवार एवं समाज के संपर्क तथा परस्पर व्यवहार के कारण स्वाभाविक रूप से मौखिक भाषा सीखी जाती है.
लिखित भाषा हमें वर्तनी और उसी के अनुरूप उच्चारण प्रयत्न पूर्वक सीखना पड़ता है. मौखिक भाषाओं की ध्वनियों के लिए स्वतंत्र लिपि चिन्हों के द्वारा भी किसी भाषा का निर्माण होता है. अब आपने जान लिया होगा भाषा कितने प्रकार की होती है और हमारे जीवन में भाषा का क्या महत्व है.
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भाषा और बोली मे अंतर
एक सीमित क्षेत्रों में बोले जाने वाली भाषा को स्थानिक रूप से बोली कहा जाता है. जिसे हम उपभाषा भी कहते हैं. यह भी कहा गया है कि कोस कोस पर पानी बदले पांच कोस पर बानी. यानी हर 5-7 मिल पर बोली में बदलाव आ जाता है. इस प्रकार भाषा का सीमित, अविकसित तथा आम बोलचाल वाला रूप बोली कहलाती है. जिसमें साहित्य की किसी प्रकार की रचना नहीं होती तथा व्याकरण नहीं होता एवं शब्दकोश भी शामिल नहीं होता.
जबकि भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है उसका उच्चारण, व्याकरण और शब्दकोश होता है तथा उसमें साहित्य भी लिखा जाता है. इसी बोली का संरक्षण तथा अन्य कारणों से यदि क्षेत्र विस्तृत होने लगता है तो उसमें भी साहित्य लिखा जाने लगता है. वह बोली भाषा बनने लगती है और उसका व्याकरण भी निश्चित होने लगता है.
हमारे जीवन मे भाषा का महत्व
भाषा के महत्व को मनुष्य ने लाखों साल पहले पहचान कर उसका निरंतर विकास किया है. आज हम सब लोगों ने यह जान लिया है कि Bhasha Ka Mahatva Kya Hai. मानव समाज के साथ ही भाषा का भी बराबर विकास होता आया है. इसी के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है. सामान्य तौर पर भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जाता है. इसी भाषा के मनुष्य अपूर्ण है और अपने इतिहास से विछिन्न है.
एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है. जबकि हिंदी, मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि सभी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है. हमारी भाषा में ही हमारे भाव, राज्य, वर्ग, जाति और प्रांतीयता झलकती है. इस जलक का संबंध हर व्यक्ति की मानवीय संवेदना और मानसिकता से भी होता है. समाज में रहकर व्यापार या फिर लोगों से बातचीत करने के लिए मनुष्य के पास एक मात्र माध्यम भाषा ही है.
भाषा के बिना लिखित साहित्य का अस्तित्व ही संभव नहीं है. वेद, उपनिषद, पुराण आदि से लेकर तुलसीदास का साहित्य भाषा के कारण ही इतने सालों तक सुरक्षित रह कर आज तक अध्ययन के लिए प्रेरित करता है. सभी साहित्यकार ऐसी भाषा को आधार बनाते हैं जो उनके पाठक को एवं श्रोताओं की संभावनाओं के साथ एकाकार करने में समर्थ हो.
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हमारी भाषा- हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा
- भाषा भावाभिव्यक्ति का मूलभूत साधन है.
- हमारे मानव विकास का मूल आधार है हमारी भाषा.
- मानव सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान है भाषा.
- विचार शक्ति का विकास.
- भाषा ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख साधन है भाषा मानव के बाबा विचार अनुभव तथा आकांक्षाओं को सुरक्षित रखती है.
इस प्रकार हमारे जीवन में भाषा का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. अब आपने शायद पूरी तरह समझ लिया होगा कि Bhasha Ka Mahatva in Hindi & Bhasha Ka Mahatva Kya Hota Hai.
निष्कर्ष
हम सब लोगों को अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा के महत्व को समझाना होगा. हमारी परंपरा का वास्तविक चित्र भी उन्हें दिखाना होगा. माता के अलावा संस्कार का तीसरा स्त्रोत प्राकृतिक एवं सामाजिक परिवेश है जिसमें वह बच्चा जन्म लेता है और पलता बढ़ता है. यही परिवेश उसके आहार व्यवहार शरीर के रंग रूप के साथ ही आदतें भी बनता है. सामाजिक परिवेश के अंतर्गत परिवार, मोहल्ला, गांव और विद्यालय के साथी सहपाठी और शिक्षक भी आते हैं. यही सूत्र सामाजिक आचरण का नियम कहलाता है.
“भाषा में है संस्कार”
गोस्वामी तुलसीदास की ऐसी बहुत सारी पंक्तियां भाषा के महत्व को समझाने के लिए काफी है. भाषा के साथ हमारे संस्कार जुड़े होते हैं. वर्तमान पीढ़ी अपनी भाषा से दूर होने के साथ ही संस्कारों से भी दूरी बना रही है. इससे पाश्चात्य संस्कृति का बोलबाला बढ़ रहा है. हम जिस भाषा को महत्व देते हैं उसी भाषा के संस्कृति को समझते हैं. इसीलिए हमारे बच्चों को अपनी भाषा से जुड़े रखना बेहद जरूरी है.
हमारी भाषा ही हमें पीढियों से जोड़ती है. हिंदी भाषा दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है इसके बावजूद भी आधुनिकता की आंधी में युवा पीढ़ी हिंदी से दूर ही होती जा रही है. हालांकि सोशल मीडिया पर बढ़ती हिंदी सक्रियता ने लोगों को फिर से अपनी मातृभाषा की ओर मोड़ने और जोड़ने का काम किया है.
पूरे विश्व में हमारा देश अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए पहचाना जाता है. इसकी है पहचान इसकी भाषा के कारण ही है भारत देश की कई भाषाएं अपने भीतर कई परंपराओं को समेटे हुए हैं.
Bhasha ka Mahatva in Hindi पर अंतिम शब्द
दोस्तों उम्मीद करता हूं कि अब आपको Essay on Bhasha Ka Mahatva in Hindi यानी Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh पूरी तरह से समझ आ गया होगा और आपने इस आर्टिकल से बहुत सारी जानकारी भी प्राप्त की होंगी.
यदि आपको आज का यह आर्टिकल Bhasha Ka Mahatva Kya Hai और Bhasha Ka Mahatva Kya Hota Hai यह बहुत पसंद आया है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करें ताकि वह लोग पीस जानकारी का फायदा उठा सके.
अब आपको इंटरनेट पर और कहीं यह सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी की Bhasha Ka Mahatva in Hindi. इससे आपका समय भी बच जाएगा हमारी हमेशा सही है कोशिश रहती है कि हम हमारे Readers को सही और सटीक जानकारी प्रदान करें. मिलते है ऐसे ही एक जबरदस्त आर्टिकल के साथ तब तक के लिए जहां भी रहो Phodte Raho.
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