दहेज़ प्रथा पर निबंध – Essay on Dowry System in Hindi

 

नमस्कार देवियों और सज्जनों Crazyhindi.com पर आपका एक बार फिर से स्वागत है. आज के इस लेख में हम दहेज प्रथा पर निबंध यानी Essay on Dowry system in hindi के बारे में जानने वाले हैं. इसलिए आज यह Article आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है. चलिए शुरू करते हैं Dahej pratha par nibandh (Essay on Dowry system in hindi).

 

इस आर्टिकल का उद्देश्य कोई भी जाती, समाज और धर्म को ठेस पहुंचाना नहीं है केवल समाज में जागृति लानेका का है। अगर फिर भी जाने अनजाने ने किसीको ठेस पहुंचे तो हमे माफ करना।

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प्रस्तावना (Dahej pratha par nibandh)

प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में अनेक प्रथा प्रचलित है. इन प्रचलित कथाओं में से एक है दहेज प्रथा (Dowry System). पहले इस प्रथा के प्रचलन के स्वरूप में बेटी को उसके विवाह पर उपहार के रूप में कुछ दिया जाता था. परंतु दिन पर दिन आज दहेज़ प्रथा एक बुराई का रूप धारण कर चुकी है. बहुत सारे मां-बाप दहेज के अभाव में योग्य कन्या को अयोग्य लड़के को सौंप देते हैं.

लोग धन देकर लड़कियों को खरीद लेते हैं. ऐसी परिस्थिति में पारिवारिक जीवन कभी सुखद नहीं बन पाता. ऐसे बहुत सारे गरीब परिवार के मां बाप है जो अपनी बेटियों का विवाह नहीं कर पाते क्योंकि समाज में दहेज लोभी व्यक्ति उसी लड़की से विवाह करना पसंद करते हैं जो अधिक दहेज देती है.

Dahej pratha का भारतीय समाज का एक मुख्य हिस्सा रही है ऐसी बहुत सारी जगह है जहां पर इस दहेज प्रथा को परंपरा से भी बढ़कर माना जाता है. लड़की के माता-पिता इस अनूठी परंपरा को शादी के दौरान कुछ नगद रुपए और महंगे गहने को बेटियों को देकर उनकी मदद के रूप में मानते हैं.

पहले आभूषण, उपहार लड़की को दिए जाते थे लेकिन आज के समय में यह रिवाज बदलता गया है, अब उपहार और नगद रुपए दूल्हे और उसके माता-पिता को दिए जाते हैं. दुल्हन को दिए गए गहने और नगद राशि ससुराल वालों के द्वारा उसके पास सुरक्षित रखी जाती है. इस प्रथा को असमानता, लिंग, सख्त कानूनों की कमी, निरपेक्षता जैसे कई कारणों ने जन्म दिया है.

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दहेज़ प्रथा की शुरुआत (When dowry system in hindi Started?)

इस बात का कोई सटीक जवाब देना तो बहुत मुश्किल है कि Dahej Pratha की शुरुआत कब हुई परंतु आपको यह बता सकते हैं कि यह प्रथा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है.

हिंदू जाति के महान पौराणिक ग्रंथों जैसे ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ में भी कन्या विदाई के समय पर माता पिता द्वारा दहेज के रूप में धन संपत्ति देने का उदाहरण उस में प्रचलित है. परंतु उस समय लोग दहेज को स्वार्थ भावना के रूप में नहीं लेते थे और लड़के वालों की ओर से कोई पैसा या फिर दहेज की मांग भी नहीं हुआ करती थी.

भारतीय समाज में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है इसमें दो परिवारों और दो दिलों का मिलन होता है. प्राचीन काल में लड़की के माता-पिता उसके विवाह के समय पर दहेज को विभिन्न सामान के रूप में दिया करते थे. जिसे लड़के के घर वाले भी बिना कोई लोग किए रख लेते थे. परन्तु आज के समय में आज में सती प्रथा, जाती पाती, छुआछूत जैसी बहुत बुरा या बढ़ने लगी है वैसे ही दहेज प्रथा (Dowry system) भी एक व्यापार बन गया है.

शुरुआत के समय में जेवर, कपड़े, फर्नीचर, गाड़ी जैसे कई सामान को दहेज दिया जाता था. परंतु समय के चलते बहुत बड़ी रकम की भी लड़की वालों से मांग की जाती थी. अगर यदि लड़का कोई इंजीनियर या फिर डॉक्टर है तो फिर बाद इस जमीन जायदाद पर या फिर मोटर कार तक भी पहुंच जाती है.

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दहेज़ प्रथा – एक अभिशाप

dahej pratha par nibandh

हमारे देश में दहेज प्रथा एक ऐसा अभिशाप है. जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को बढ़ावा देता है फिर चाहे वह प्रात सारे को या मानसिक. इस काली प्रथा ने समाज के सभी वर्गों को अपनी चपेट में ले लिया है.

अमीर लोग इस प्रथा का अनुसरण अपनी सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा दिखाने के लिए करते हैं. वही गरीब अभिभावकों के लिए बेटी को विवाह में दहेज देना बहुत आवश्यक हो जाता है. क्योंकि सभी मां बाप को जानते हैं अगर दहेज नहीं दिया तो उनके मान सम्मान को समाप्ति मिल जाएगी. बेटी को बिना दहेज के भेजा तो ससुराल में लड़की का जीना तक मुश्किल बन जाएगा.

अगर मूल रूप से देखा जाए तो दहेज प्रथा भी एक कुप्रथा है. जैसा कि हमने Baal vivah par nibandh जाना कि भारत में ८.9 प्रतिशत लड़कियां 13 वर्ष की उम्र से पहले ब्याह दी जाती है. 23% लड़कियों को 15 वर्ष की आयु से पहले शादी करनी पड़ती है.

हमारे भारत देश का सामाजिक परिवेश कुछ इस प्रकार का बन चुका है कि यह व्यक्ति के प्रतिष्ठानों में मान सम्मान उसके आर्थिक हालातों पर निर्भर है. जिसके पास ज्यादा धन होता है उतना ही ज्यादा वह समाज में प्रतिष्ठित को सम्मानित होता है. ऐसे में लोगों का लालची होना और दहेज की आशा रखना एक स्वाभाविक परिणाम है.

Dahej pratha par nibandh (Essay on dowry system in hindi) में यह भी हम जान सकते हैं कि दहेज कम लाने पर या फिर दहेज ना लाने पर शादी के बाद बहू को ससुराल में मारा पीटा जाता है. यहां तक कि उन्हें जिंदा जला भी दिया जाता है. इसीलिए हमारे भारत देश में बहुत सारी शादीशुदा लड़कियां आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाती है. हाल के समय में दहेज प्रथा हमारे लिए एक अभिशाप है.

Dahej Pratha से होने वाले दुष्कर्म:

अब तक हमने जाना कि भारत में दहेज प्रथा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है.यह दहेज प्रथा हमारे लिए एक अभिशाप है. अब इस dahej pratha par nibandh (Essay on dowry system in Hindi) मैं हम यह जानने वाले हैं कि दहेज प्रथा से कौन कौन दुष्कर्म हो सकते हैं और दहेज प्रथा किन किन चीजों को बढ़ावा देती है.

आज अगर 21वी सदी में देखा जाए तो दहेज प्रथा ने बहुत ही क्रूर रूप धारण कर लिया है. ऐसे बहुत सारे राज्य है और बहुत सारे गांव हैं जिनमें अगर विवाह के समय दहेज में कमी हुई तो लड़के वाले शादी किए बिना ही बारात वापस लेकर जाते हैं. ऐसे में अगर गलती से भी शादी हो जाती है तो लड़की का जीवन नर्क के समान हो जाता है या फिर लड़कियों को कुछ गलत बहाने से तलाक देकर निकाला जाता है.

इस दहेज प्रथा में लड़की के अलावा दूल्हे और उसके परिवार को भी भारी मात्रा में उपहार देने की आवश्यकता होती है. कुछ लोग गरीब होने की वजह से अपने रिश्तेदारों और मित्रों से पैसे उधार लेते हैं. बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो दहेज प्रथा के लिए बैंक से लोन भी लेते हैं. दहेज प्रथा नामक काली प्रथा से बहुत सारे दुष्कर्म होते हैं जिन्हें हम नीचे जानने वाले हैं.

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Dahej pratha से होने वाले दुष्कर्म:

  • पारिवारिक दबाव और पारिवारिक वितीय बोज
  • अपने जीवन स्तर को कम करना
  • शारीरिक और मानसिक दबाव
  • लड़की के लिये भावनात्मक तनाव
  • भ्रस्ताचार का बढ़ावा
  • कन्या भ्रूण हत्या
  • समाज मे असंमानित होना

दहेज़ प्रणाली के खिलाफ कानून

दहेज प्रथा (Dowry system) भारत में होने वाली को प्रथाओं में से एक है. इस काली प्रथा ने बहुत सारी समस्या जैसे कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों को लावारिस छोड़ना, लड़कियों के लिए वित्तीय समस्याएं, पैसे कमाने के लिए अनुचित साधनों का लड़की के रूप में उपयोग करना, बहू को भावनात्मक शोषण करना आदि सभी समस्याओं को जन्म दिया है.

इसीलिए इस Dahej pratha को रोकने के लिए भारत सरकार ने दहेज को दंडनीय अधिनियम बनाते हुए कानून भी बनाए हैं. चलिए आज के dahej pratha par nibandh (Essay on dowry system in hindi) में इस पर भी नजर डालते हैं.

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दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961

इस अधिनियम को 1961 में लागू किया गया इससे दहेज की लेनदेन करने वाले सभी लोग अपराधी है। इस अधिनियम के चलते दहेज कि लेन देन करने वाले को 5 साल की कैद और 15,000 तक का जुर्माना भरना पड़ता है।

और भी अगर पति के रिश्तेदारों से कोई भी सम्पत्ति दहेज की तरह मांगने में आए तो भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए लागू की जाती है।

और अगर लड़की के विवाह के सात साल में लड़की की मौत होती है और किसीभी तरह यह सामने आए की लड़की को मौत के पहले दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था तो उसके पति को और परिवार वालो को धारा 304-बी अन्तर्गत सात साल की कैद से उम्रकैद कि सजा भी हो सकती है।

इस अधिनियम के अनुसार दहेज देने और लेने की निगरानी करने के लिए एक कानूनी व्यवस्था लागू की गई थी. दहेज़ लेनदेन की स्थिति में जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

इस दहेज निषेध अधिनियम 1961 द्वारा सजा में कम से कम 5 वर्ष का कारावास और ₹15000 का न्यूनतम जुर्माना भरना पड़ता है यह जुर्माना दहेज की राशि पर आधारित है. दहेज की मांग भी दंडनीय है अगर कोई दहेज की मांग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से भी करता है तो उनको भी 6 महीने का कारावास और ₹10000 का जुर्माना हो सकता है.

घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005

आज के समय में भी बहुत से महिलाओं के साथ ससुराल वालों की दहेज की मांग को पूरा करने के लिए भावनात्मक शारीरिक और मानसिक रूप से दूरव्यवहार किया जाता है. इसीलिए इस तरह के दुरुपयोग के खिलाफ महिला सशक्तिकरण के लिए घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 को बनाया गया है.

यह नियम महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है. अगर कोई भी शारीरिक, भावनात्मक, मौखिक, आर्थिक, और योन सहित सभी प्रकार के महिलाओं के साथ दुरुपयोग करता है तो यह कानून उस अपराधी को दंड के पात्र मानता है. इस कानून में हर एक दुर्व्यवहार की गंभीरता और सजा अलग-अलग है.

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dowry system
source: thebiharnews.in

Dahej Pratha (Dowry system) को रोकने के संभवित तरीके

सरकार के बनाए गए बहुत सारे कानूनों के बावजूद भी दहेज प्रथा आज भी हमारे समाज में एक अभिशाप के रूप में खड़ी है. इस समस्या को समाप्त करने के लिए हमें कुछ तरीकों का इस्तेमाल करना होगा. तो चलिए इस Dahej pratha par nibandh या (essay on dowry system in Hindi) में जानते हैं कि दहेज प्रथा को समाप्त करने के तरीके कौन-कौन से हैं.

दहेज़ प्रथा, जाती भेदभाव, बाल श्रम, बाल विवाह जैसे अनेक सामाजिक प्रथाओं के लिए अशिक्षित यानी शिक्षा का अभाव मुख्य कारण है. इसीलिए ऐसी बहुत सारी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हमें लोगों को उच्च शिक्षा के लिए और शिक्षित बनने के लिए प्रेरित करना होगा. मां बाप को अपने बेटियों के लिए अच्छे दूल्हे की तलाश में खर्चा करने की बजाय बेटी की शिक्षा पर पैसा खर्च करना चाहिए और उसे खुद अपने पैर पर निर्भर करना चाहिए.

हमें महिला सशक्तिकरण को मजबूत करना होगा सभी महिला को अपने ससुराल वालों के व्यंग्यात्मक टिप्पणी के प्रति झुकने की बजाए अपने कार्य में ऊर्जा के साथ काम करना चाहिए.

लिंग असमानता भी दहेज प्रणाली के मुख्य कारणों में से एक है. हमें बहुत कम उम्र में बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि पुरुष और स्त्री दोनों के समान अधिकार है. कोई भी एक दूसरे से बेहतर या कम नहीं है.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चला कर भी हम दहेज प्रणाली को रोक सकते हैं. इसके अलावा इस मुद्दे को रोकने के लिए बहुत सारे अभियान आयोजित किए जाने चाहिए इस तरह हम दहेज प्रथा (dowry system) से छुटकारा पा सकते हैं.

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दहेज़ प्रथा(Dowry system in Hindi) को रोकने के तरीके

  • शिक्षा
  • महिला शास्क्तिकरण अभियान
  • लिंग समानता
  • सरकारी कानून
  • सामाजिक समानता
  • बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान

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निष्कर्ष of dahej pratha par nibandh (Dowry system in Hindi)

अंत में dahej pratha par nibandh (Dowry system in hindi) मैं हम जानेंगे कि दहेज प्रथा लड़की और उसके परिवार के लिए एक पीड़ा का कारण है. इस कुप्रथा को रोकने के लिए और इससे छुटकारा पाने के लिए हमें यहां उल्लेखित सभी समाधानों को गंभीरता से लेना होगा. और अपने भारत सरकार को भी कानून दाखिल करना होगा.

इस प्रणाली को पूरी तरह से जड़ मूल से निकालने के लिए सरकार और आम जनता का एक साथ होना बहुत आवश्यक है. दहेज प्रथा को रोकने के लिए सरकार ने दंडनीय अपराध भी इसे बनाया लेकिन अभी भी देश के ज्यादातर गांवों में इसका पालन किया जा रहा है जिससे लड़की और उनके परिवारों को विवाह के समय बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है.

यह दुखदाई है कि भारत में लोगों द्वारा दहेज प्रणाली को आज भी परंपरा के रूप में लिया जाता है. उम्मीद करता हूं कि हम सब साथ मिलकर इस प्रथा को जड़ से निकालेंगे.

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अंत में बस आपको यह कहूंगा की आज जीवन बहुत ही लालच से भरा हुआ हो गया है। जो पहले लड़के 20-25 साल काम महेनत करके जमा करते थे वो आज के समय में सिर्फ सादी करके कामना चाहते है। यह हमारे समाज की बहुत बुरी चीज है। हाल के समय में हमारे पवित्र परम्परा को दूषित नजरो से देखा जा रहा है।

हमें दहेज को हटाने के लिए हमारे मन में एक दृढ़ संकल्प लेना होगा कि ” में तो न दहेज लूंगा या लेने दूंगा। ” अगर पूरे देश ने यह संकल्प ले लिया तो दहेज जैसी घिनौनी परम्परा हमारे समाज में से साफ हो जाएंगी।

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